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बुधवार, 11 सितंबर 2019

क्या सचमुच पैसा ही सबकुछ है ? देखो केसे पैसा भावो मे बिक गया।

हम इन्सान है और इन्सान मे भेद-भाव पेदा करना ही सब से पहली सोच रही है,हमे बाँटे रखने के लिये सदियो से रीति रिवाज़ चलन मे है,जो की इन्सान को इन्सान से दूर करता है,वेसे ही आज के समय मे जहाँ जातिवाद कम हुआ की पैसे से व्यक्ति की पहचान होने लगी,अब जिसके पास पैसा वो बलवान,वो ही अपनी जिन्दगी बिना भेद-भाव के अपने पैसो के दम पर जी सकता है,लेकिन हाल ही मे हुई एक घटना ने मुझे सोचने को मजबूर कर दिया कि क्या पैसा सबकुछ है,तो चलो आप को वो कहानी बताता हूँ,
हुआ कुछ यूँ कि एक गर्मी के दिनो की एक सुन्दर सी सुबह थी,और सभी अपनी देनिक दिनचर्या मे व्यस्त थे,तभी
एक सेठ जी मुख लटका के बड़ी उदासी से अपने घर से निकले और पास के किसान के घर जाके ब्याज देने के लिये किसान को कहा,
किसान ने कहा कि आप कुछ मिनट रुकिये मै लेकर आता हूँ,
तभी सेठ की नज़र उसके घर पर पड़ी तो उसने देखा की उसके दो पुत्र खेत जाने की तैयारी कर रहे है और बड़े हर्ष और उल्लास के साथ खेत जा रहे है,दोनो पुत्रवधु एकसाथ मिलकर काम कर रही है और जल्दी जल्दी काम खत्म करने की कोशिश कर रही है,सभी घर के पशु और पालतू जानवर हस्ट पुष्ट नज़र आ रहे थे,
ये सब देख सेठ का मन खुश हो गया और मन की उदासी को वो भुल गया,इतने मे किसान के दो पोते सेठ के पास चाय ले आये और पास आकर बेठ गये व उनसे बाते करने लगे,बच्चो की बातो ने सेठ को हंसने पर मजबूर कर दिया,ये सब घटनाएँ एक वक़्त मे थम सी गई जब किसान ब्याज के पैसे लेके आया,
सेठ ने पैसे नहीँ लिये और कोई ज़रूरी काम याद आग्या, कहकर चला गया,किसान को ये बात कुछ समझ नहीं आयी। अब जब भी सेठ उदास होता वो किसान के घर चला जाता और खुश होकर लौट के आता,
ये सब इतेफ़ाक नहीं,ये किसान को समझ आ गया,
एक दिन जब सेठ आया तो किसान ने उस से पुछ लिया की क्या बात है सेठ जी, इतना समय हो गया आपने ब्याज नही लिया,
तो सेठ जी ने उस किसान को अपनी जीन्दगी के बारे मे बताया की मै अकेला रहता हूँ,मेरा सारा परिवार अपने अपने काम से शहर मे रहते है, मेरे बेटे मुझसे सिर्फ काम की बात करते है व भाई भाई एक दूसरे की टाँग खीचते है ,मेरे पोतो को मेने 6 महिने पहले देखा था,अब वो भी होस्टल मे रहते है,मेरी बीवी मुझे छोडकर भगवान को प्यारी हो गई, तब से मै बहुत अकेला महसूस करता हूँ,
ये सब सुन किसान की आँख में आँसू आ गये,और ब्याज सेठ को देने लगा तो सेठ ने सुनहरे शब्द कहे,
*ब्याज तो मै तुमसे कब का ले रहा हूँ *
मेरी जिन्दगी मे पैसो की कमी नही बल्कि खुशिओं की कमी है,
तो समझ ही गये होगें की पेसा सबकुछ नहीं है,
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महफिल यारो की।

MAHFIL YAARO KI BHULA DETI,
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CHAAHE YAAR HAI MERE THODE KAM...

जब जी चाहे,

JAB JI CHAHE TAB MERA,
ZMEER MUJSE KHELTA HAI,
FIR LOG KAHTE HAI KI,
SHAKS DHOKHE BOHT JHELTA HAI....

सहारा ना लिजिये।

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BURE WAQT ME,
TUMHE BHI JAKAD HI LEGA

जहर

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बारिश

BAHUTE KUCH YAAD DILA DETI HAI,
YE BARISH,
FIR PATA CHALTA HAI KI,
DUKHO KA KOI NAHI HOTA,
VAARIS .......