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शनिवार, 14 सितंबर 2019

कहने को तो सब कुछ मिटी है,पर यहाँ कुछ और था।जाने

यह दुनिया एक दुसरे का समय देखकर उसका साथ देने या
नहीं देने का फैसला करती है लेकिन इसी दुनिया मे कुछ लोग
ऐसे भी है जो खुद की प्रवाह किये बिना लोगो का साथ देते है,
ये बात उनके लिये ही है कि
'राख हूँ,खाक हूँ,
पर हर वक्त,अपनो का
देता साथ हूँ '
ऐसे ही एक फकीर स्वभाव के व्यक्ति की बात बताने जा रहा हूँ,
एक बार की बात है कि एक नौजवान हमेशा ही गांव के चौक पर
बेठा रहता था,उसके माता पिता उसे बचपन मे छोडकर ही चले गये
थे,उसे जो कोई भी बुलाता वो उसके साथ जाकर काम मे हाथ बटाता,हालाकि वो कोई गरीब व्यक्ति नहीं था,लेकिन वो सबके काम
आना आता था,जब कभी उसकी बात होती तो सभी के मुहं पर उसकी तारीफ होती,अब एक दिन ऐसा आया कि,नौजवान को कुछ
पैसो की ज़रूरत पड़ी,लेकिन उसके पास उस वक्त पैसे नही थे,तो उसने मदद मांगनी चालू की, उसे पुरे गांव ने पैसे देने से इनकार कर दिया और तर्क यह दिया कि नौजवान पैसे लौटा नहीं पायेगा,
वह निराश होकर घर गया और सो गया,
अब वह अगले दिन,उसी चौक पर जाकर बेठ गया लेकिन कोई उस से मदद नही मांग रहा था,क्योकिं सब को शर्म आ रही थी कि बिना उसकी मदद करे,हम मदद केसे मांगे, www.Atulthepoet.blogspot.com
वह वहाँ ही बेठा था,कि इतने मे उसकी आंखो के सामने गांव का मुखिया पास के एक कुए मे फिसलकर गिर गया, अब वहाँ खड़े कोई व्यक्ति की कुए मे उतरने की हिम्मत नहीं थी,तो कुए मे से आवाज आई कि मैं मरने वाला हूँ,मुझे निकलो मै तुम्हे धन दूँगा,
लेकिन सबको पता था की कुए मे मुखिया तो बच गया लेकिन हम वापिस आएगें या नहीं,सब वहाँ से जाने लगे और कहने लगे की कोई इलाज नही बहुत गहरा कुआ है,तभी नौजवान ने एक रसी को खुद से बांधकर और एक मजबूत पेड़ के बाँध दी,वह मानो किसी बन्दर की तरह कुए मे उतरा और अन्दर जाकर देखा कि मुखिया जी तो रो रहे है,उन्हे बुलाया की मुखिया जी चलो बाहर चले,ये सुनकर मुखिया खुश हुआ कि कोई उसकी मदद करने आया है,नौजवान ने मुखिया का हाथ पकड़, एक हाथ से रसी को खेंच खेंच कर मुखिया को बाहर निकला लिया,लेकिन उसका हाथ पुरा लहू-लुहान हो गया,
ये देखकर मुखिया ने उसे गोद ले लिया और गांव का नया मुखिया बना दिया,उसकी ज़मीन से जुड़ी परवर्ती ने उसे आसमान तक पहुचा दिया,आप भी ऐसे ही ज़मीन से जुड़े रहे और इस कहानी को और लोगो तक पहुचाये।
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