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शुक्रवार, 13 सितंबर 2019

गुमसुम रहने लगे हो आजकल ,देखो ये कहानी !!!

एक बार की बात है, एक परिवार मे चार सदस्य थे,
चारो के पास एंड्रॉइड फोन थे,सभी अपने अपने फोन मे व्यस्त रहते थे,खाना खाते वक्त जो परिवार का प्रमुख यानि कि गौतम का पिता अपने करोबार के सिलसिले मे अपने किसी दोस्त से कारोबार की बात कर रहे थे, वहीं गौतम का बड़ा भाई चैट्स मे व्यस्त था,उनकी माता जी भी अपनी बहन के साथ बात कर रही है और सभी साथ मे खाना खा रहे थे,अब गौतम उम्र मे छोटा था तो उसे फोन मे गेम खेलना ही आता था परन्तु वह खाने खाते समय गेम नही खेल सकता था,उसने अपने फोन को अपने कमरे मे चार्ज लगा रखा था,अब सभी ने साथ बेठ के खाना तो खाया लेकिन गौतम के सिवाए उसके भाई और उसके पिता को यह भी नही पता था कि उन्होने क्या खाया है,अब दिनो दिन ये सिलसिला चलता रहा,पास रहकर भी सभी एक दुसरे से दूर होते रहे,अब एक दिन गौतम को यह अहसास हुआ की उसके परिवार मे एक दुसरे के लिये स्नेह धीरे धीरे खत्म हो रहा था,
तो उसने एक दिन अपने दादा जी को उनके गावँ फोन करके ये सारी बाते बतायी,उसके दादाजी ने इन सब बातो को गम्भीर तरीके से सोचा तो उन्हे ये बात गौतम की सही लगी क्युकी गौतम के पिता उसके दादा जी से बहुत ही कम बात किया करते थे,तो उन्होने शहर जाने का फैसला लिया,उन्होने गौतम को समझाया कि वो इस बात को गुप्त रखे की वो शहर आ रहे है, गौतम ने इस बात का ध्यान रखते हुए घर पर कुछ नही बताया, लगभग 3 दिन बाद उसके दादाजी शहर आ गये,सुबह सुबह घर की दरवाज़े की घंटी बजी तो सभी के कान खड़े हो गये,गौतम ने जाकर दरवाजा खोला तो खुशी से झूमते हुये बोला की 'दादा जी'आप!!
ये सुनते ही सभी की आँख खुली और जल्दी से बाहर आये तो देखा की सुबह के 7 बजे है और इतने जल्दी दादा जी केसे आये है,
गौतम और उसके पिताजी ने दादा जी के पैर छुए और चाय बनाने के लिये आवाज लगायी,चाय बन रही थी तो दादा जी से इतने जल्दी आने की वजह जानने की उत्सुकता सभी के मन मे थी,तो गौतम के पिताजी ने पुछा की आप यहाँ,कोई समस्या तो नही,
तो दादाजी ने कहा कि मुझे मेरे परिवार की याद आ रही थी तो मै आ गया, दादा जी एक सेवानिवृत फौज के अफसर थे,तो उनके रूतबे के आगे सभी की नज़र निचे रहना लाज़्मी था,
सभी को दादाजी के आने के बाद मन मे एक भय रहने लगा की अगर दादाजी को कोई बात पसंद नही आयी तो उनके घुस्से का शिकार होना पड़ेगा,
सभी ने अपने अपने फोन का इस्तेमाल करना कम कर दिया, दादाजी को आये 4 दिन हुए की सभी को फोन की केद से आजादी मिल रही थी,लेकिन गौतम के सिवाए सभी को घुटन महसूस हो रही थी, अब चौथे दिन शाम को दादाजी की असली कहानी की शुरुआत हुई,अब सब खाना खा रहे थे तो उन्होने सभी से एक सवाल पुछा कि,
इतने गुमसुम क्यो हो सभी, क्या कोई समस्या है बताओ मुझे,अब सभी ने फोन का इस्तेमाल नही किया इतने दिन बाहरी बाते उनके दिमाग मे नही थी,उन्हे खुद से मिलने का मौका जो मिला था,
अब गौतम के पिता ने चूपी तोड़ी और बोले पिताजी काम मे इतना व्यस्त रहता हूँ कि मैं अकेला महसूस करता हूँ,गौतम के बड़े भाई ने बताया की मुझे भी पढाई मे बहुत मुश्किले आ रही है,कुछ समझ नही आता,गौतम की माता जी बोली मुझे भी आजकल घुटन होती है कि मेरी बहन से मिले मुझे बहुत समय हो गया,मुझे उस से मिलने की इच्छा रहती है,इन सब बातो मे गौतम बड़े ध्यान से सुन रहा था,ये बाते उसके दादाजी ने उसे समझाई थी कि सब ऐसी बाते बोले तो अन्त मे तुम्हे ये बात बोलनी है,वैसा ही हुआ गौतम ने कहा,
कि 'दादाजी!! ये सब झूठ बोल रहे है ऐसी कोई बात नहीं है,"
ये सुन सब के कान खड़े हो गये और गौतम से सवाल किया की तुम ये क्या बोल रहे हो,हम तुमसे बड़े है,हम झूठ क्यूँ बोलेगे,
तो गौतम ने कहा की आप सब को इतनी समस्या है तो आपने एक दुसरे को क्यूँ नही बतायी,इन बातो का तो इलाज सम्भव था,तो सभी सोच मे डूब गये की केसे!!
तो दादाजी ने हँसते हुये कहा की गौतम सही कह रहा है,इतनी सी बात के लिये गुमसुम क्यो थे तुम,तुम्हारी हर समस्या का इलाज तुम खुद हो,
तो दादाजी ने समझाया कि अगर की अगर तुम ध्यान से समझो तो बहू तुम्हे गौतम के साथ अपनी बहन से मिलकर आ सकती थी,गौतम के पिता अपना अकेलापन अपने बड़े बेटे को पढाकर दूर कर सकता था,इलाज इतना सरल था की सुनकर सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया,
तब दादाजी ने एक बात कही,
कि गुमसुम रहने से अछा है की आप आपके पास रहने वाले से बात का जिक्र करो,तो हर समस्या का हल है, और अपने फोन से इन बातो का इलाज सम्भव नही,तुम जिस से अकेलापन दूर करने की बात सोचते हो,वो ही तुम्हे अकेला होने पर मजबूर करता है,
जब ये बात उन्होने समझ के अमल मे लायी तो उनका जीवन अगले 15 दिनो मे सुधर गया,
दादाजी का सभी ने धन्यवाद किया और उनका मार्गदर्शन करते रहने की गुजारिश की,
अब ये सब देख गौतम बहुत खुश था,और जाते वक़्त उसने अपने दादाजी जी से एक बात कही,
वो बात कभी अगली कहानी मे जिक्र करेगें,
- Fb/Mr. Atul Poonia
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